कृषि वैज्ञानिकों की अनुशंसा के आधार पर ही फसलों में खाद व कीटनाशकों का प्रयोग करें: प्रबंध निदेशक ब्रह्म प्रकाश
कैथल, 13 फरवरी, राज्य सरकार द्वारा किसानों के कल्याण के लिए जो भी योजनाएं शुरू की गई हैं किसानों को उन सुविधाओं का लाभ उठाते हुए फ सलों पर लागत मूल्य घटाकर अपना मुनाफा बढ़ाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करनी चाहिए।
एडीसी डॉ. बलप्रीत सहकारी चीनी मिल कैथल में आयोजित गन्ना विचार गोष्ठी एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित किसानों को संबोधित कर रहे थे। एडीसी ने कहा कि किसान कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी गई जानकारी को अपने खेतों मे प्रयोग करते हुए देश की उन्नति में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करें। किसान प्राकृतिक खेती को भी अपनी खेती में शामिल करें। फसल अवशेषों में आग नहीं लगाएं, बल्कि उन अवशेषों को अपनी आय का साधन बनाएं। फसल अवशेषों का प्रबंधन करके किसान अपनी आय में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। यदि किसी किसान को खेती की नई तकनीकों की जानकारी प्राप्त करनी है तो वे संबंधित कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। मिल के प्रबन्ध निदेशक ब्रह्म प्रकाश ने उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान खेती के परम्परागत तरीकों को छोड़कर कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार खेती करें तभी खेती उनके लिए फायदे का सौदा बन सकेगी। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर किसानों को जानकारी देने के लिए विभिन्न प्रकार के सन्देश दिए जा रहे है, जिनकी कोई प्रामाणिकता नही है तथा ऐसे सन्देश से किसानों की पूरी फ सल भी तबाह हो सकती है, इसलिए किसान सरकारी अनुसंधान केन्द्र व कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिको की अनुशंसा के आधार पर ही फ सलों में खाद व कीटनाशकों का प्रयोग करें। गन्ना विचार गोष्ठी में गन्ना प्रजनन संस्थान पूसा करनाल के गन्ना वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को गन्ने की नवीनतम किस्मों, गन्ना फसल में कीट रोग व खाद प्रबंधन तथा गन्ने की पैदावार बढ़ाने के लिए अहम् जानकारी दी।
गन्ना प्रजनन संस्थान पूसा करनाल के क्षेत्रीय निदेशक डॉ एस.के.पांडेय ने कहा कि किसानों द्वारा खेतों में खाद व कीटनाशकों के अन्धाधुन्ध प्रयोग से मित्र कीट समाप्त हो रहे हैं जिस कारण खेतों में प्राकृतिक नियंत्रण क्षतिग्रस्त हो रहा है व फ सलों में बीमारियां बढ़ती जा रही है। उन्होंने गन्ने की फ सल में टॉप बोरर व उसके नियंत्रण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी तथा अवगत करवाया कि कुछ किसान गन्ने की किस्म सी.ओ. 15027 व 15025 की खेती कर रहें है जो कि अभी राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित नहीं की गई है तथा गन्ने की ये किस्में अभी ट्रायल पर है। उन्होंने कहा कि किसान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर सही ढंग व सही समय पर यांत्रिक,जैविक व कीटनाशकों का प्रयोग करें तभी गन्ने की फ सल में चोटीभेदक कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
डॉ. एम.एल. छाबड़ा ने किसानों को अपने संबोधन में कहा कि किसी भी फ सल में मिट्टी व बीज से ही बीमारी आती है इसलिए गन्ने की बीजाई से पूर्व बीज का शोधन करें व स्वस्थ बीज का ही चुनाव करते हुए बीजोपचार या टीकाकरण करें। उन्होंने गन्ने में लाल सड़न रोग, उक्टा रोग , स्मट व पोका बोईंग को नियत्रंण करने के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी दी। डॉ पूजा ने गन्ने की फ सल में उर्वरकों के सतुंलित प्रयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डॉ रविन्द्र यादव ने बीज प्रबंधन व गन्ना फ सल का उत्पादन बढ़ाने के लिए सलाह दी। डॉ एम. आर मीणा ने किसानों गन्ना किस्मों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कृषि उपनिदेशक डॉ. कर्मचन्द ने किसानों को अपने सन्देश में कहा कि वे अपने खेतों में प्रति एकड़ 35 किलो पोटाश का प्रयोग अवश्य करें ताकि मिट्टी में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ सकें व नवंबर तथा मार्च महीने में अपनी फ सलों में पानी का अधिक प्रयोग न करें। उन्होंने कृषि विभाग द्वारा चलाई गई योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए किसानों को प्राकृतिक खेती को भी अपनी खेती का महत्वपूर्ण भाग बनाने का आह्वान किया व इसके लिए कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने की विधि बताई। डॉ. मुकेश भानखड़ ने गन्ने की फ सल में फेरोमोन ट्रैप की जानकारी देते हुए बताया कि इस विधि से गन्ने की फ सल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है। गन्ना विचार गोष्ठी में कृषि एवं कल्याण विभाग कैथल, चीनी मिल व इफ को सहित अन्य खाद व कीटनाशक निर्माताओं द्वारा भी चलाई जा रही योजनाओं व उत्पादों के बारे में जानकारी देने हेतु स्टॉल लगाए गए।
प्रबन्ध निदेशक द्वारा मुख्य अतिथि अतिरिक्त उपायुक्त डॉ बलप्रीत सिंह को शॉल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। मिल के निदेशक मंडल के सदस्यों ने कृषि वैज्ञानिकों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए। मिल के गन्ना प्रबन्धक रामपाल सिंह ने मंच संचालन करते हुए किसानों से ज्यादा से ज्यादा गन्ना सी. ओ. 15023 व सी. ओ. 118 किस्मों की बीजाई करने का आग्रह किया। कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ने की फ सल में किसानों को समस्याएं सुनी व उनके निवारण के लिए उचित सलाह दी। इस मौके पर मिल के निदेशक मंडल के सदस्य रामेश्वर ढुल, राजपाल सिंह, शमशेर सिंह, नछश्रर सिंह, जितेन्द्र कादियान, राजेश कुमार, रमेश कुमार, रविभूषण, देशराज, सतपाल शर्मा, किसान महीपाल सिंह, गुलतान सिंह, रमेश कुमार, नरेश बाजवा सहित गन्ना विभाग के अन्य अधिकारी व सैकड़ों किसान भी उपस्थित रहे।
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