कैथल, 6 मार्च, एडीसी डॉ. बलप्रीत सिंह ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को गेहूं व धान के साथ-साथ पारंपरिक मोटे अनाज बाजरा, ज्वार, मक्का आदि को शामिल करना चाहिए, क्योंकि इन अनाजों में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जोकि हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोत्तरी करने का कार्य करता है। इस बात की महत्ता को देखते हुए वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मीलिट वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।
एडीसी डॉ. बलप्रीत सिंह लघु सचिवालय परिसर से मोटा अनाज जागरूकता वाहनों को झंडी दिखाकर रवाना करने उपरांत बोल रहे थे। बता दें कि यह प्रचार वाहन जिला के सभी गांवों में जाकर किसानों व आमजन को मोटे अनाज की महत्ता के बारे में जागरूक करेंगे, ताकि अधिक से अधिक व्यक्ति मोटा अनाज का सेवन करें। एडीसी ने कहा कि आज के समय में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण हर महिला और बच्चों में दिखाई दे रहे हैं, जिसका मुख्य कारण अपने पारंपरिक मोटे अनाजों को छोड़कर गेहूं और धान तक सीमित होना है। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष मनाने की सहमति अन्य 70 देशों ने भी दी है। मोटे अनाज का मुख्य रूप बहुत गुण भरा है। मोटे अनाज के गुणों को फि र से जानने समझने तथा जीवन में शामिल करने का समय आ गया है। मोटे अनाज वर्षों से परिचित हैं। मौसम बदलता है तो मक्के, ज्वार और बाजरे के रोटी को शौंक से खाते हैं लेकिन आम जन-मानस इनके गुणों से अपरिचित है। इनके अलावा जईं, कोदो, कुटकी, रागी और समा आदि भी मोटे अनाजों में शामिल हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. कर्मचंद ने कहा कि सभी मोटे अनाज गुणों से भरपूर हैं। इनमें पाया जाने वाला रेशा और इस रेशे में घुलनशील और अघुलनशील दोनों ही रूप हमारे शरीर में पाचन तंत्र में वरदान की तरह काम करते हैं। घुलनशील रेशा पेट में कुदरती तौर पर मौजूद बैक्टिरिया को सहयोग करके पाचन को बेहतर बनाता है वहीं अघुलनशील रेशा पाचन तंत्र से मल को इक्ट्ठा करने और उसकी आसान निकासी में मदद करता है। यह पानी भी खूब सोखता है यानि व्यक्ति को मोटा अनाज खाने के बाद प्यास भी खूब लगती है जो पाचन तंत्र के लिए बहुत अच्छा है। बाजरा उर्जा से भरपूर, प्रोटीन का उत्तम स्त्रोत, खनिज लवणों व रेशों से भरपूर और मोटापा, मधुमेह व दिल के मरीजों के लिए उत्तम अनाज है क्योंकि इसमें उर्जा 350-370 कैलोरी, प्रोटीन 9-14 प्रतिशत, मिनिरल 2-3 प्रतिशत, व फाईबर 1-2 प्रतिशत पाए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि बाजरा से बिस्कुट, पास्ता, नोडयुल, केक, सेवियां, नमकीन, लड्डू, शक्करपारा व बहुत सारे अन्य स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जा सकते हैं और ये व्यंजन काफी पंसद किए जा रहे हैं। ये सभी व्यंजन बच्चों, बूढ़ों, गर्भवती व धात्री मां के भोजन के लिए पौष्टिक एवं उपयुक्त हैं। उन्होंने सभी किसानों से आह्वान किया है कि ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र में मोटे अनाज की खेती करने का कष्ट करें ताकि उच्च गुणवत्ता से भरपूर अनाज आम जनमानस के लिए उपलब्ध करवाया जा सके। कृषि विभाग द्वारा मोटे अनाज को उगाने हेतू किसानों को जागरूक करने हेतू साल भर के लिए जिला कार्य योजना बनाई है जिसमें प्रदर्शन प्लाट, किसान गोष्ठियां, जागरूकता कार्यफ्म, रैलियां इत्यादि निकाली जाएंगी ताकि आम जन-मानस तक मोटे अनाजों की गुणवत्ता की जानकारी पहुंचाई जा सके। इस अवसर पर डॉ युद्धवीर सिंह, कृष्ण कुमार, प्रेम सिंह इत्यादि मौजूद रहे।
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