गुहला-चीका, 25 मार्च, सर्कल सुपरवाइजर दीप्ति ने बताया कि शनिवार को गांव थे-मुकेरिया में पोषण पखवाड़े के तहत गांव खरोदी की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व औरतों की बैठक ली गई। इस दौरान पौधारोपण करवाया गया तथा महिलाओं को किचन गार्डन के बारे में बताया गया और साथ में महिलाओं को मोटे अनाज के प्रति जागरूक किया गया। सरकार द्वारा चलाई जा रही महिलाओं के कल्याणकारी योजनाओं की अलग-अलग स्कीमों के बारे में भी बताया गया तथा औरतों को और किशोरियों को एनीमिया मुक्त होने के लिए आयरन युक्त भोजन खाने की सलाह दी गई।
उन्होंने कहा कि सभी मोटे अनाज गुणों से भरपूर हैं। इनमें पाया जाने वाला रेशा और इस रेशे में घुलनशील और अघुलनशील दोनों ही रूप हमारे शरीर में पाचन तंत्र में वरदान की तरह काम करते हैं। घुलनशील रेशा पेट में कुदरती तौर पर मौजूद बैक्टिरिया को सहयोग करके पाचन को बेहतर बनाता है वहीं अघुलनशील रेशा पाचन तंत्र से मल को इक्ट्ठा करने और उसकी आसान निकासी में मदद करता है। यह पानी भी खूब सोखता है यानि व्यक्ति को मोटा अनाज खाने के बाद प्यास भी खूब लगती है जो पाचन तंत्र के लिए बहुत अच्छा है।
उन्होंने कहा कि बाजरा उर्जा से भरपूर, प्रोटीन का उत्तम स्त्रोत, खनिज लवणों व रेशों से भरपूर और मोटापा, मधुमेह व दिल के मरीजों के लिए उत्तम अनाज है क्योंकि इसमें उर्जा 350-370 कैलोरी, प्रोटीन 9-14 प्रतिशत, मिनिरल 2-3 प्रतिशत, व फाईबर 1-2 प्रतिशत पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि बाजरा से बिस्कुट, पास्ता, नोडयुल, केक, सेवियां, नमकीन, लड्डू, शक्करपारा व बहुत सारे अन्य स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जा सकते हैं और ये व्यंजन काफी पंसद किए जा रहे हैं। ये सभी व्यंजन बच्चों, बूढ़ों, गर्भवती व धात्री मां के भोजन के लिए पौष्टिक एवं उपयुक्त हैं। इस मौके पर आशा वर्कर रंजना, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मीता, रणदीप, विजय आदि उपस्थित रहे।
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