परंपरागत तरीकों को छोड़कर कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार खेती करें किसान: प्रबंध निदेशक ब्रह्म प्रकाश बीज उपचार करके गन्ना की बिजाई करने से बहुत अधिक बीमारियां नहीं होंगी: डॉ. राकेश

February 24, 2023 119 0 0


कैथल, 24 फरवरी (             )दी कैथल सहकारी चीनी मिल लिमिटड में हरकोफैड द्वारा गन्ना विकास संगोष्ठी एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र उचानी के वैज्ञानिक पहुंचे। शुगर मिल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में 8 स्टॉल लगाए गए, जहां पर गन्ना के बीज, खाद व खेती उपकरणों की जानकारी दी गई। मिल के प्रबन्ध निदेशक ब्रह्मप्रकाश ने उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान खेती के परंपरागत तरीकों को छोड़कर कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार खेती करें तभी खेती उनके लिए फायदे का सौदा बन सकेगी। किसान सरकारी अनुसंधान केन्द्र व कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों की अनुशंसा के आधार पर ही फ सलों में खाद व कीटनाशकों का प्रयोग करें।

          क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र उचानी के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. राकेश मेहरा ने किसानों से गन्ना की जानकारी देते हुए बताया कि गन्ना की फ सल की अच्छी पैदावार लेने और बीमारियों से बचाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से खेती करने की जरूरत है। इसके लिए किसान खुद को तैयार करे कि उसे कब क्या करना है। सबसे पहले भूमि को बिजाई के लिए अच्छे से तैयार करे, बिजाई से पहले बीजोपचार करें और इसके बाद बिजाई की एक विधि का चयन करें। ऐसे करने पर सरकार द्वारा 5 हजार रूपये प्रति एकड़ सब्सिडी दी जा रही है। बीज उपचार करके गन्ना की बिजाई करने से बहुत अधिक बीमारियां नहीं होंगी। साथ ही खाद का प्रयोग भी कम करना पडे़गा और पैदावार भी अच्छे मिल सकेगी, जिससे किसान की लागत मूल्य घटने से उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

          वैज्ञानिक डॉ. महासिंह ने बताया कि गन्ना की फ सल लंबी अवधि की फ सल है, जो किसान 11 से 15 महीनों में तैयार करता है। इस लंबी अवधि में बीमारियों का आना संभावित है। गन्ना की फसल में तीन प्रकार की बीमारियां मुख्य होती हैं, जमीन वाली बीमारी, तना भेदक और चोटी भेदक शामिल हैं। उन्होंने किसानों को हर बीमारी की पहचान करना और उसकी रोकथान के लिए उपाये बताए। इसके अलावा बीमारियां के अनुसार किस दवा का प्रयोग करना चाहिए, उसकी जानकारी दी।

          हरियाणा शुगरफैड के गन्ना सलाहकार डॉ. रोशन लाल यादव ने बताया कि दूसरी फ सलों की बजाए गन्ना में कम वैरायटी हैं। इसका कारण ये है कि गन्ना की एक वैरायटी तैयार होने में कम से कम 8 से 10 साल लगते हैं। जबकि दूसरी फसलों में एक नई वैरायटी दो साल में मार्केट में आ जाती हैं। व्यापार के इस दौर में उन्नत किस्मों के साथ-साथ मार्केट में उनकी जगह नकली किस्मों को भी बेचा जाता है। उन्होंने किसानों से सलाह दी गई कि केंद्र व प्रदेश द्वारा चुने गए संस्थानों से ही बीज की खरीद करें। खेत से गन्ना कटाई के साथ उसको नीचे से कटवाएं। एक इंच कटाई ज्यादा होने से प्रति एकड़ 4 से 5 क्विंटल पैदावार में इजाफा होता है। हर बीज की एक आयु होती है। हर 4 साल बाद किसान को अपनी फ सल का बीज बदलना चाहिए।

          हरकोफैड के अधिकारी जगदीप ने बताया कि अच्छी सोच के लिए सहकारिता विस्तृत क्षेत्र है। इसके तहत प्रदेश के सभी शुगर मिल, हैफेड, डेयरी क्षेत्र के लिए हरकोफैड काम कर रहा है। युवाओं के लिए बहुउद्देश्य समितियां बनाई जा रही है। जहां पर 25 प्रकार के कामों का प्रावधान है। इसमें 5 लाख रूपये का ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है और 1 लाख रूपये सबसिडी दी जा रही है।

          डा. नवीन कम्बोज ने कहा कि किसानों द्वारा खेतों में खाद व कीटनाशकों के अन्धाधुन्ध प्रयोग से मित्र कीट समाप्त हो रहे हैं जिस कारण खेतों में प्राकृतिक नियंत्रण क्षतिग्रस्त हो रहा है व फ सलों में बीमारियां बढ़ती जा रही है। उन्होंने गन्ने की फ सल में टॉप बोरर व उसके नियंत्रण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी तथा अवगत करवाया कि कुछ किसान गन्ने की किस्म सी.ओ. 15027 व 15025 की खेती कर रहें है जो कि अभी राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित नहीं की गई है तथा गन्ने की ये किस्में अभी ट्रायल पर है। उन्होंने कहा कि किसान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर सही ढंग व सही समय पर यात्रिंक,जैविक व कीटनाशकों का प्रयोग करें तभी गन्ने की फ सल में चोटीभेदक कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है। उन्होंने गन्ने की फ सल में उर्वरकों के सतुंलित प्रयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी। किसान अपने खेतों में प्रति एकड़ 35 किलो पोटाश का प्रयोग अवश्य करें ताकि मिट्टी में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ सकें व नवंबर तथा मार्च महीने में अपनी फ सलों में पानी का अधिक प्रयोग न करें।

                    हरकोफैड के सहायक सहकारी शिक्षा अधिकारी जगदीप सांगवान ने मिल के प्रबंधनिदेशक  ब्रह्मप्रकाश को शाल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। मिल के निदेशक मंडल के सदस्यों ने कृषि वैज्ञानिकों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए।  मिल के गन्ना प्रबन्धक रामपाल सिंह ने मंच संचालन करते हुए किसानों से ज्यादा से ज्यादा गन्ना सी. ओ. 15023 व सी. ओ. 118 किस्मों की बीजाई करने का आग्रह किया। कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ने की फ सल में किसानों को समस्याएं सुनी व उनके निवारण के लिए उचित सलाह दी। इस मौके पर हरकोफैड निदेशक अनिल क्योड़क, मिल के निदेशक मंडल के सदस्य रामेश्वर ढुल, राजपाल सिंह, शमशेर सिंह, राजेश कुमार, रमेश कुमार, रविभूषण, ए.ए.सिद्दकी, कमलकांत तिवारी, देशराज, ज्योति, अभिषेक, सतजीत लाल, राजबीर, किसान जिलेसिंह, गुलतान सिंह, रमेश कुमार, सहित गन्ना विभाग के अन्य अधिकारी व सैकड़ों किसान भी उपस्थित रहे।


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