कैथल, 17 अप्रैल, जिला रैडक्रॉस सोसायटी द्वारा नागरिक अस्पताल में विश्व हिमोफि लिया दिवस के रूप में मनाया गया । नागरिक अस्पताल में लोगों को जानकारी देते हुए जिला रैडक्रॉस सचिव रामजी लाल ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को चोट लगने पर घाव हो जाता है और घाव से खून बन्द नही हो रहा हो तो उस व्यक्ति को हिमोफि लिया के लक्षण हो सकते है। आम तौर पर घाव होने पर थोड़ी देर में खून निकलना बन्द हो जाता है और यदि नहीं हो रहा है तो इस बीमारी के लक्षण हो सकते है। इसका ईलाज टीके होते है जिन्हें फेक्टर बोलते है । किसी भी आदमी को अगर इस बीमारी के लक्षण है तो उसको फेक्टर लगाए जाते है, जिससे उस व्यक्ति के खून को बहने से रोका जा सके । फेक्टर खून जमाने में सहायक होते है । हिमोफि लिया बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को खेलते समय या कोई कार्य करते समय बहुत ध्यान रखने की जरूरत है । चाकू से कट लगना, नकसी आना या चोट लगने के कारण खून नहीं रूकता। ध्यान रहे इसके टीके बहुत ज्यादा महगें होते है इसलिए इस रोग से पीडि़त व्यक्ति को बहुत सावधानी की जरूरत होती है । सभी सरकारी अस्पतालों में टीके मुफ्त में लगाए जाते है । अगर किसी को भी हिमोफि लिया के लक्षण लगे तो तुरन्त सरकारी अस्पताल में जाकर चिकित्सक से संपर्क करें और अपना ईलाज मुफ्त में करवाएं । नागरिक अस्पताल डॉ. सचिन ने अवगत करवाया कि हीमोफि लिया रोग में रक्त के थक्के बनने की क्षमता गंभीर रूप से कम हो जाती है। इस कारण हीमोफ ीलिया से पीडि़त व्यक्ति को मामूली चोट में भी बहुत अधिक खून बहने लगता है। हीमोफि लिया रोग आमतौर पर जीन में उत्परिवर्तन या परिवर्तन के कारण होता है जो रक्त का थक्का बनाने के लिए आवश्यक क्लॉटिग फैक्टर प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश प्रदान करता है । हीमोफि लिया रोग सामान्य तौर पर दो प्रकार का होता है । हीमोफ ीलिया ए और हीमाफि लिया बी । हीमोफि लिया बी इसका सामान्य प्रकार है इसमें रोगी के रक्त में थक्के बनने के लिए आवश्यक फैक्टर 8 की कमी हो जाती है । बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल अग्रवाल ने हिमोफि लिया के लक्षण, बचाव एवं बाल रोग से संबन्धित अन्य जानकारी उपलब्ध करवाई। इस अवसर पर सिविल अस्पताल कैथल का स्टाफ एवं पवन कुमार आदि मौजूद रहे।
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