कैथल (रमन सैनी) भारत के पाकिस्तान पर हमले के बाद चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने कहा है कि इस हमले में संगठन के मुखिया मसूद अज़हर के परिवार के 10 सदस्य और चार करीबी सहयोगी मारे गए हैं।
इस बारे में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) की ओर से बुधवार को एक बयान जारी हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत द्वारा किए गए हमले में मारे गए मृतकों में मसूद अज़हर की बड़ी बहन और बहनोई, भांजे की पत्नी और भांजी के अलावा 5 बच्चे शामिल हैं। इस बयान के मुताबिक पाकिस्तान के बहावलपुर में सुभान अल्लाह मस्जिद पर हमले में मसूद अज़हर के रिश्तेदारों की मौत हुई है।
Note: इसी बहावलपुर में 10 जुलाई, 1968 को अल्लाहबख्श सबीर के परिवार में मसूद अज़हर का जन्म हुआ था।
वैसे मौलाना मसूद अज़हर की सबसे ज़्यादा चर्चा कंधार हाईजैक के दौरान हुई थी। 1999 में कंधार हाईजैक के दौरान जिन 3 चरमपंथियों को रिहा करने की डिमांड की गई थी, उनमें मसूद अज़हर का नाम शामिल था। भारत सरकार के तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह मसूद अज़हर को विशेष विमान से लेकर कंधार गए थे और उसके बाद से ही मसूद अज़हर की तलाश भारत की सुरक्षा एजेंसियों को रही है।
मसूद अज़हर की पहचान भारत में प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना की है। भारत सरकार लगातार यह दावा करती रही है कि इस संगठन का मुख्यालय पाकिस्तानी पंजाब के बहावलपुर में है। यह भी एक वजह मानी जा रही है, जिसके कारण भारत ने पहली बार पाकिस्तान की सीमा में 100 किलोमीटर अंदर जाकर हमला किया है। भारत कई बार पाकिस्तान से मसूद अज़हर को भारत के हवाले करने के लिए कह चुका है लेकिन पाकिस्तान हमेशा से उसके पाकिस्तान में नहीं होने का दावा करता आया है।
भारत 2009 से ही मौलाना मसूद अज़हर के जैश-ए-मोहम्मद को संयुक्त राष्ट्र की आतंकी संगठनों की सूची में शामिल करने की मांग करता आ रहा था, लेकिन चीन हमेशा इसके ख़िलाफ़ वीटो का प्रयोग करता रहा है। क़रीब 10 साल की कोशिशों और पुलवामा हमले के बाद एक मई, 2019 को संयुक्त राष्ट्र ने मौलाना मसूद अज़हर के संगठन को ‘आतंकी संगठन’ घोषित किया था, जिसको लेकर पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति पर सवाल उठाया था।
मसूद अज़हर के जिन क्रिया कलापों के बारे में भारतीय गृह मंत्रालय ने मोस्ट वॉन्टेड सूची में जिक्र किया है, उसके मुताबिक़, अज़हर के नेतृत्व में जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी गतिविधियों के लिए व्यापक भर्ती अभियान चलाता है और युवाओं को भारत के विरुद्ध कार्रवाई के लिए उकसाता रहा है। जनवरी, 2002 में इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने मौलाना मसूद अज़हर के बारे में एक विस्तृत आलेख छापा है। इस आलेख के मुताबिक़ मसूद अज़हर का जिहादी गतिविधियों से जुड़ाव कराची में पढ़ाई के दौरान हुआ था।
इस अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक़, मसूद अज़हर ने भारत में प्रवेश सीमा रेखा के रास्ते से नहीं किया था बल्कि जनवरी, 1994 में ढाका से दिल्ली हवाई उड़ान के ज़रिए किया था। कुछ दिनों तक दिल्ली के नामचीन होटलों में ठहरने के बाद मसूद पहले देवबंद और फिर कश्मीर तक पहुंचे, जहां से 10 फ़रवरी, 1994 को भारतीय सुरक्षा बलों ने मसूद को हिरासत में लिया था। मसूद के गिरफ़्तार होने के 10 महीनों के भीतर चरमपंथियों ने दिल्ली में कुछ विदेशियों को अग़वा कर उन्हें छोड़ने के बदले मसूद अज़हर की रिहाई की मांग की थी। ये मुहिम असफल हो गई, क्योंकि उत्तर प्रदेश और दिल्ली पुलिस सहारनपुर से बंधकों को छुड़ाने में सफल हो गई। एक साल बाद हरकत-उल-अंसार ने फिर कुछ विदेशियों का अपहरण कर उन्हें छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन ये प्रयास भी असफल रहा।
इसके बाद से 1999 में रिहाई तक अज़हर को जम्मू की कोट भलवाल जेल में रखा गया था। उस समय वहां कश्मीर से गिरफ़्तार हुए कश्मीरी, अफ़गान और पाकिस्तानी चरमपंथियों की एक पूरी टोली क़ैद थी। इस में चरमपंथी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन के श्रीनगर में कमांडर कहे जाने वाले सैफ़ुल्लाह ख़ान और उसके दो सगे चरमपंथी भाई भी शामिल थे।
पाकिस्तान में मसूद अज़हर के बारे में कोई अच्छी राय नहीं है। सब जानते हैं कि वो एक चरमपंथी समूह के मुखिया है, चरमपंथ का प्रचार करते हैं। “कई चरमपंथी घटनाओं में उनका हाथ रहा है। नौजवान उनके बारे में अच्छी राय नहीं रखता। लेकिन समाज का एक हिस्सा ऐसा भी है जो उनका समर्थन करता है. ये वो लोग हैं जो भारत को अपना दुश्मन मानते हैं। “
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