कैथल (रमन सैनी) विश्व हिंदू परिषद धर्माचार्य प्रमुख स्वामी रामस्वरूप दास जी के शिष्य स्वामी छविरामदास ने कहा कि यदि किसी तीर्थ स्थल पर भंडारा लगा है तो वहां प्रसाद ग्रहण करना भी एक पुण्य का कार्य है। यह सालों बाद अवसर आ रहा है, जब हमारे आराध्य भगवान श्रीराम मंदिर में विराजमान होंगे। यह सभी भारतीयों व हिंदू समाज के लिए हर्ष एवं आनंद का विषय है। छवि रामदास शुक्रवार को श्रीराम जन्मभूमि भंडारा आयोजन समिति कार्यालय में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह बड़े हर्ष का विषय है कि कैथल जिला को पूरे हरियाणा की अगुवाई का अवसर मिला है और हरियाणा की ओर से अयोध्या में भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने सभी का आह्वान करते हुए कहा कि वे इस भंडारे में यथासंभव योगदान दें। प्रवचन में उन्होंने उदहारण देते हुए कहा कि एक पेड़ में आग लग जाने पर सभी पक्षी उसे छोडक़र उडऩे लगे तो एक चिडिय़ा ने नदी से पानी लाकर अपनी चोंच से उस आग को बुझाने का प्रयास किया। जिसे देखकर गरुड़ ने कहा कि क्या तुम्हारे इस प्रयास से आग बुझ जाएगी तो चिडिय़ा ने कहा कि वे सारी उम्र इस पेड़ की छाया में रही है, ऐसे में उसके इस काम को देखकर यदि आप जैसे बड़े पक्षी प्रयास करें तो आग निश्चित तौर पर बुझ जाएगी। इसी प्रकार से भंडारे में योगदान के लिए कोई यह न सोचे कि उसका योगदान छोटा है, कोई भी व्यक्ति अधिक सक्षम हो या कम सक्षम। सभी अपने सामथ्र्य के अनुसार योगदान दें। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने अच्छे कर्मों का प्रचार नहीं करना चाहिए। प्रचार न करने से अच्छे कर्मों का प्रभाव एवं फल अधिक गहरा होता है। यदि कोई अपने अच्छे कर्मों का प्रचार करे तो उसका प्रभाव एवं पुण्य भी कम मिलता है। उन्होंंने कहा कि मनुष्य को सद्कर्म करते हुए नेकी कर दरिया में डाल की नीति पर चलना चाहिए। स्वामी छविरामदास ने कहा कि बुरे व अच्छे कर्मों का फल जरूर मिलता है। अच्छे कर्म करेंगे तो फल अच्छा होगा, बुरे कर्म करेंगे तो फल बुरा होगा। इसीलिए सभी को अच्छे कर्म करने चाहिए। इस अवसर पर श्री गुरु गोरखनाथ भंडारा समिति की अगुवाई में श्रीराम जन्मभूमि भंडारा आयोजन समिति से जुड़े महानुभावों ने संत का स्वागत किया और उन्होंने सभी को शुभाषीश दिया।
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