कैथल (रमन सैनी) हरियाणा-पंजाब के हजारों प्रदर्शनकारी किसान अपनी मांगों को लेकर तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन के लिए दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ के बाहरी इलाके में इकट्ठा होना शुरू कर दिया है। मोहाली-चंडीगढ़ सीमा पर जमा किसानों का कहना है कि उनकी मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही। राज्यपाल को अपनी बात बताने के लिए चंडीगढ़ कूच करना चाहते हैं। महिलाओं की संख्या भी काफी है। पंचकूला के सेक्टर-5 स्थित धरनास्थल पर पहुंचे किसानों ने कहा कि सोमवार को धरना स्थल पर ही गुरु पर्व मनाएंगे और फिर 28 नवंबर को हरियाणा के राज्यपाल से मिलने के लिए चंडीगढ़ कूच करेंगे।
उन्होंने चेतावनी दी है कि वे लंबी यात्रा के लिए तैयार होकर आए हैं। उनमें से कई लोग अपने ट्रैक्टर-ट्रेलरों पर सब्जियां, आटे और दाल की बोरियां और खाना पकाने का तेल साथ लाए थे। संयुक्त किसान मोर्चा यानी SKM के तहत किसान यूनियनों ने किसानों के ऐतिहासिक ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन की तीसरी वर्षगांठ और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की कानूनी गारंटी जैसी मांगों को पूरा न करने पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। इस बार उसने चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा के राजभवनों के सामने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए ‘चंडीगढ़ चलो’ आंदोलन दिया है।
प्रदर्शनकारी किसान, जिनमें पुरुष, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग के साथ ट्रैक्टर-ट्रेलर, कारों और बाइकों पर सवार स्कूल और कॉलेज के छात्र भी शामिल हैं, जो पंजाब में मोहाली और हरियाणा में पंचकुला की सीमाओं पर इकट्ठा हो रहे हैं। किसानों के चंडीगढ़ में जबरन प्रवेश को रोकने के लिए दोनों राज्यों और चंडीगढ़ की पुलिस को भारी संख्या में तैनात किया गया है और सीमाएं सील कर दी गई हैं। हालांकि, प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए किसी हिंसा या बल प्रयोग की कोई रिपोर्ट नहीं है। इकट्ठे हुए किसानों ने अपने रहने के लिए शहर की ओर जाने वाली सड़कों पर अपने तंबू गाड़ दिए हैं और अपने वाहन, बड़े पैमाने पर ट्रैक्टर-ट्रेलर, पार्क कर दिए हैं। यहां तक कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को भोजन परोसने के लिए अस्थायी रसोई भी स्थापित की।
वहीं, उनको रोकने के लिए पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। पंचकूला और मोहाली सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात है। रास्ते जाम होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। फसलों की एमएसपी और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग को लेकर किसान संगठनों ने 26 से 28 नवंबर तक चंडीगढ़ में धरना-प्रर्दशन की घोषणा की थी। उनका आरोप है कि दिल्ली में आंदोलन वापस लेने के समय सरकार ने एमएसपी लागू करने का आश्वासन दिया था, लेकिन उसे लागू नहीं किया।
रविवार सुबह से पंजाब के दूरदराज इलाकों से ट्रैक्टर-ट्रालियों व अन्य वाहनों पर किसान बावा व्हाइट हाउस फेज-11 से जगतपुरा चौक तक सड़क के दोनों तरफ बैठ गए। उन्होंने अपनी ट्रालियों को सड़क किनारे लगा दिया। उन्हें रविवार को चंडीगढ़ की तरफ कूच करना था, लेकिन किसान यूनियन ने अभी बार्डर पर रुकने के लिए कहा है। आज यानि सोमवार को यूनियन नेताओं की बैठक के बाद कोई फैसला होगा। यहां किसान नेताओं रूलदू सिंह मानसा, जोगिंदर सिंह उगराहां, हरिंदर सिंह लक्खोवाल आदि ने संबोधित किया। जगतपुरा में करीब पांच हजार और पंचकूला में एक हजार से ज्यादा किसान पहुंच चुके हैं। उनके लिए टेंट लगाने का काम चल रहा है और खाने की व्यवस्था के लिए लंगर शुरू कर दिए गए हैं। धरना स्थल पर लंगर तैयार किया जा रहा है।
एसकेएम की समन्वय समिति के सदस्य दर्शन पाल ने बताया, “कृषि संघ अपनी मांगें पूरी नहीं होने पर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए राजभवन की ओर बढ़ेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो वे आंदोलन को अनिश्चितकाल तक बढ़ाएंगे।” खन्ना शहर के एक किसान सरबजीत सिंह ने कहा, “हम वह राशन ले जा रहे हैं, जो दो महीने तक चल सकता है।” अपने बेटों व पोते-पोतियों के साथ डेरा डाले बुजुर्ग किसान गुरदेव सिंह ने कहा, “दिल्ली सीमा बिंदुओं- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर पर एक साल से अधिक लंबे विरोध प्रदर्शन की तरह अब हम चंडीगढ़ की सीमाओं पर भी इसी तरह के विरोध के लिए तैयार हैं।”
किसान संघों की मांग में पंजाब और हरियाणा में कीटों के हमले और बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हुई फसलों का मुआवजा भी शामिल है। पंजाब और हरियाणा पुलिस दोनों ने एक ट्रैफिक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें यात्रियों से विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर चंडीगढ़ सीमाओं के साथ कुछ अन्य मार्गों से आने-जाने से बचने के लिए कहा गया है।
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