कैथल, 10 नवम्बर (रमन सैनी) डीसी प्रशांत पंवार ने दीपों के त्यौहार दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए अपील की है कि जिलावासी दीपवाली के पावन पर्व को सौहार्दपूर्ण ढंग से इको फ्रेंडली व प्रदूषण मुक्त तरीके से ही मनाएं और केवल ग्रीन पटाखों का ही प्रयोग करें। ग्रीन पटाखे पर्यावरण को अधिक प्रदूषित नहीं करते। उन्होंने जिला वासियों से इस दीपावली पर ग्रीन पटाखों के अलावा दूसरे पटाखों का प्रयोग नहीं करने का संकल्प लेने की अपील करते हुए कहा कि पटाखें कई प्रकार से पर्यावरण व हमारे स्वास्थ्य के लिए घातक हैं। सभी जिला वासी मिलकर पर्यावरण को अपनी भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखें। उन्होंने बढ़ते एआईक्यू लेवल के मद्देनजर जिला वासियों से प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने का आह्वान किया।
स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं पटाखे :- DC
डीसी प्रशांत पंवार ने कहा कि दीपावली पर पटाखों से वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है और अस्थमा के रोगियों को दिक्कत पेश आती है। पटाखों से जो हानिकारक विषैली गैस निकलती हैं, उनका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है और वह प्रभाव लंबे समय तक रहता है। पटाखों व आतिशबाजी से वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा श्वास संबंधी रोगियों पर बुरा प्रभाव पडता है। पटाखों से गला तथा छाती जकड़न की समस्या होना आम बात हैं और खांसी, जुकाम तथा एलर्जी से पीड़ित रोगियों की स्थिति और बिगड़ जाती है, इसलिए जनहित तथा पर्यावरण हित में दीपावली पर आतिशबाजी न चलाएं और दीप जलाकर रोशनी के इस पर्व को खुशी व इको फेंडली तरीके से मनाएं।
दीपावली पर वायु प्रदूषण करने वालों पर सर्वोच्च न्यायालय व एनजीटी सख्त :- DC
डीसी प्रशांत पंवार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल-एनजीटी ने पटाखे फोड़ने से होने वाले वायु प्रदूषण पर कड़ा संज्ञान लिया है। दीपावली पर आतिशबाजी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय, एनजीटी सहित जिला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व प्रशासन पूरी तरह सख्त है। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सुझाव एवं सरकार के निर्देशानुसार जिला में सीआरपीसी-1973 की धारा-144 के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिले की सीमा के अंदर ग्रीन पटाखों को छोड़कर सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, बिक्री एवं उनके उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हुए हैं। आदेशों की उल्लंघना करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता, विस्फोटक अधिनियम-1884 विस्फोटक अधिनियम-2008 के तहत दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।
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