कैथल, 23 फरवरी (रमन सैनी) गांव खुशहाल माजरा, गुहला, कैथल की सरपंच सुश्री सर्बजीत कौर ने अपने वकील श्री रविंदर कुमार व स्वर्ण सिंह के माध्यम से हरियाणा मानवाधिकार आयोग में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई है| शिकायत में कहा गया है कि खुशहाल माजरा गांव से 200-300 मीटर की परिधि में ही तीन-चार चावल शैलर इकाइयां चल रही हैं| और यह चावल शैलर ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रिपोर्ट मांगी थी|
फाइल फोटो 1: काल्पनिक चित्र
क्षेत्रीय अधिकारी, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कैथल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कुल 50 इकाइयों का उल्लेख किया गया है, जिनमें इकाइयों के 05 नाम दोहराए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन सभी इकाइयों का इस कार्यालय के क्षेत्र अधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया है। 39 इकाइयां संचालन के लिए वैध सहमति के साथ काम कर रही हैं तथा 6 इकाइयों ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जिसे आगे ‘HSPCB’ कहा जाएगा) से संचालन के लिए सहमति प्राप्त नहीं की है। 6 इकाइयों में से 02 इकाइयां स्थापित नहीं हैं तथा 04 इकाइयां बोर्ड द्वारा बंद कर दी गई हैं। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में आगे लिखा है कि नारंगी श्रेणी के अंतर्गत सभी 28 प्रदूषणकारी इकाइयों ने इन इकाइयों द्वारा उत्पन्न जल एवं वायु प्रदूषण के उपचार के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपकरण उपलब्ध करवाए हैं। इन इकाइयों के विरुद्ध शिकायत प्राप्त होने के पश्चात क्षेत्रीय कार्यालय, कैथल द्वारा पुनः निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान ये सभी इकाइयां चालू पाई गईं तथा इन इकाइयों से जल/वायु अधिनियम के अंतर्गत नमूने एकत्रित किए गए हैं। उक्त सभी इकाइयों के नमूने जल/वायु अधिनियम के अंतर्गत अनुमेय सीमा के भीतर हैं। इसलिए, इन इकाइयों के विरुद्ध बोर्ड द्वारा आगे कोई कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता नहीं है। इसके अतिरिक्त, बोर्ड से सीटीई/सीटीओ के बिना संचालित होने वाली 3 इकाइयों के विरुद्ध ₹6,82,500/- रुपए की पर्यावरण क्षतिपूर्ति की संस्तुति की गई है तथा शेष 1 इकाई ने बोर्ड द्वारा पहले से लगाए गए ₹3,50,000/- रुपए की पर्यावरण क्षतिपूर्ति जमा करा दी है।
हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा और सदस्य श्री कुलदीप जैन की डबल बेंच ने अपने आदेश में लिखा है कि यद्यपि, उपरोक्त स्थिति रिपोर्ट के मद्देनजर, संबंधित विभाग ने यह दिखाने का प्रयास किया है कि अधिकांश चावल शैलर इकाइयां जल/वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम के अंतर्गत अनुमेय सीमा के भीतर काम कर रही हैं, लेकिन जैसा कि शिकायतकर्ता के विद्वान वकील द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जमीनी हकीकत इसके विपरीत है। जैसा कि कैथल जिले की गुहला तहसील के गांव खुशहाल माजरा की सरपंच सुश्री सरबजीत कौर ने बताया कि खुशहाल माजरा गांव से 200/300 मीटर की परिधि में तीन/चार चावल शैलर इकाइयां स्थित हैं और उन इकाइयों का काम करना ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। चूंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है, इसलिए क्षेत्रीय अधिकारी, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कैथल क्षेत्र को गांव खुशहाल माजरा में या उसके आसपास स्थित सभी चावल शैलर इकाइयों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया जाता है, जिसमें उक्त गांव से उन इकाइयों की दूरी के बारे में स्पष्ट विवरण दिया जाए।
साथ ही प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट में निम्न स्थित स्पष्ट होनी चाहिए कि-
1. क्या वे इकाइयां प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति से चल रही हैं और उन इकाइयों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण उपकरण लगाए गए हैं या नहीं?
2. अंत में यह भी रिपोर्ट की जानी है कि क्या वे प्रदूषण नियंत्रण उपकरण चालू हैं या नहीं?
डबल बेंच ने अपने आदेश में आगे लिखा है कि यहां यह बताना अनावश्यक है कि जल/वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत, क्षेत्रीय अधिकारी को प्रदूषण पैदा करने वाली इकाइयों की निगरानी करने तथा कानून के अनुसार उन इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई करने की पर्याप्त शक्ति प्राप्त है। अधिकारियों के आश्वासनों के बावजूद, जमीनी स्तर पर जन स्वास्थ्य की वास्तविक स्थिति अक्सर अपेक्षाओं से कम होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि चावल शैलर इकाइयों की परिचालन गतिविधियों के कारण जमीनी स्थिति विशेष रूप से उस क्षेत्र में या उसके आसपास रहने वाले आम लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति अच्छी नहीं है।
हरियाणा मानव अधिकार आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना व जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर पुनीत अरोड़ा ने बताया कि इस मामले को ध्यान में रखते हुए आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा और सदस्य श्री कुलदीप जैन की डबल बेंच ने क्षेत्रीय अधिकारी, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कैथल क्षेत्र को निर्देश दिया है कि वे अगली सुनवाई की तिथि पर उपरोक्त क्षेत्र में इकाइयों (चावल शैलर) के कामकाज के बारे में सभी प्रकार से पूर्ण रिपोर्ट के साथ आयोग के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों। इस मामले में आयोग अगली सुनवाई 15.5.2025 को करेगा|
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