कैथल (रमन सैनी) प्रॉपर्टी आईडी सर्वे करने वाली याशी नामक कंपनी के खिलाफ सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं की जाने को लेकर कैथल के विधायक आदित्य सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उनकी सरकार पर करारा हमला बोलाहै। साथ ही उन्होंने मांग की है कि करोडों जनता को जो परेशानी इस कंपनी के कुकर्मों से झेलनी पड़ी है उसके लिए कंपनी को ब्लैकलिस्ट करते हुए इस पर 200 करोड़ का जुर्माना लगाया जाए। यहां जारी बयान में विधायक आदित्य सुरजेवाला ने सरकार पर आरोप लगाया कि जिस याशी कंपनी को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की सरकार ने प्रदेश में प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे करने का ठेका दिया था वह कंपनी सत्ताधारी दल के नेताओं और शहरी स्थानीय निकाय विभाग के भ्रष्ट अफसरों के साथ सांठगांठ करके आज मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार की सरपरस्ती में फल फूल रही है।
इस कंपनी ने अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करके प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में तमाम तरह के ब्लंडर किए जिनका खामियाजा इस प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है। इस सबके बावजूद सरकार उच्च न्यायालय के आदेशों को नकारकर इस कंपनी पर कार्रवाई नहीं कर रही। नायब सिंह सरकार द्वारा इस कंपनी के तमाम गलत कार्यों के बावजूद कार्रवाई नहीं किया जाना इस बात का प्रमाण है कि याशी कंपनी के तार सत्ताधारी दल के प्रभावशाली नेताओं के साथ जुड़े हुए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय निकाय विभाग के भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रॉपर्टी आईडी सर्वें में भारी त्रुटियां होने के बावजूद सर्वें को सही घोषित करके साइन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करवा कर याशी कम्पनी को जनता के खजाने से 66 करोड़ रुपये की पेमेंट करवा दी थी। लेकिन जब इस महाघोटाले से पीड़ित जनता में हाहाकार मची, लोगों की करोड़ों की प्रॉपर्टीज को दूसरों के नाम चढ़ा दिया गया और मामला लोकायुक्त कोर्ट में गया तो तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर को मजबूर होकर 12 सितंबर 2023 को याशी कम्पनी को ब्लैक लिस्ट करना पड़ा । इसके बावजूद , याशी कम्पनी से मिलीभगत के चलते महकमे के अधिकारियों ने ब्लैक लिस्ट करने की प्रक्रिया में जान बूझ कर तकनीकी कमी छोड़ दी ताकि कंपनी को कार्रवाई से बचाया जा सके।
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि कंपनी पर आरोप तो गलत सर्वे करने के थे लेकिन अधिकारियों ने सरकार के इशारे पर याशी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए ब्लैकलिस्ट करने के आधार में ये लिखा कि कम्पनी ने प्रोजेक्ट पूरा होने पर जो सामान हार्ड वेयर उसे लौटाने थे वो नहीं लौटाये , इसलिए ब्लैकलिस्ट किया जाता है । साथ ही टेंडर एग्रीमेंट अनुसार जो बकाया काम कम्पनी से करवाने थे वो पालिका आधिकारी खुद करेंगे। ऐसा करके अधिकारियों ने कंपनी के फर्जीवाड़े को छुपा लिया ताकि उसे न्यायालय से लाभ मिल सके।
आदित्य ने कहा कि फिक्स गेम के तहत ब्लैकलिस्ट करने के इस आदेश के खिलाफ कम्पनी हाई कोर्ट चली गई जहां उसे तुरंत इस आधार पर राहत मिल गई कि सरकार ने उसे ब्लैकलिस्ट करने से पहले कारवाई करने के लिये भेजे नोटिस में उसे ब्लैकलिस्ट करने का ज़िक्र नहीं किया था। भ्रष्ट अधिकारियों और भाजपा नेताओं के साथ सांठगांठ करके कंपनी ने हाई कोर्ट में मामले की ढंग से पैरवी नहीं होने दी और माननीय न्यायालय को मजबूरन 12 सितंबर 2023 को याशी कम्पनी को ब्लैक लिस्ट करने के आदेश को तकनीकी आधार पर गलत बताते हुए इस पर रोक लगानी पड़ी।
सुरजेवाला ने कहा कि हाई कोर्ट के दिनांक 07 मार्च, 2024 के आदेशों के अनुसार सरकार को याशी कम्पनी को दोबारा ब्लैकलिस्ट करने के लिये नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में ब्लैकलिस्ट करने का फैसला लेना था । हाई कोर्ट के इस आदेश को 10 महीने बीत चुके हैं लेकिन हमारे स्वयंभू ईमानदार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने याशी नामक इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। सरकार बार-बार इस कंपनी को बचा रही है क्योंकि अनुबंध की शर्तों को दरकिनार करके याशी कंपनी को गलत ढंग से 66 करोड़ का भुगतान करने के इस मामले में एक दर्जन से अधिक भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी और कई भाजपा नेता लपेटे में आ रहे हैं।
आदित्य ने कहा कि कोर्ट के 7 मार्च 2024 निर्णय के बाद
जब दोबारा याशी कम्पनी को ब्लैकलिस्ट करने की कारवाई करने का नोटिस सरकार ने भेजा तो कम्पनी ऑर्बिटरेशन ट्रिब्यूनल में चली गई कि उससे प्रोजेक्ट का शेष काम करवाने पर सरकार ने जो रोक लगाई है वो एग्रीमेंट के विपरीत है और इससे कम्पनी को करीब 90 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।सरकार ने भी इसके जवाब में 150 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा कम्पनी के खिलाफ़ डाल दिया।
इस मामले मे शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय में बैठे याशी कम्पनी के चहेते सरकारी अधिकारियों ने ऑर्बिटरेशन ट्रिब्यूनल में कमज़ोर व गलत पक्ष रखा है। जिसके आधार पर कम्पनी को ऑर्बिटरेशन ट्रिब्यूनल से लाभ मिलना और सरकार की फ़ज़ीहत होना तय है।
आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल को याशी कंपनी के कुकर्मों के विषय में सूचित करने की बजाय सरकार ने अपने पक्ष में बताया है कि अब फेज़ 2 (ऑपरेशन, मेंटिनेंस) व फेज़ 3 (इंटेंग्रेशन ऑफ प्रॉपर्टी सर्वें डाटा) का बकाया कार्य वे अपने कर्मचारीयों से ही खुद करवाएंगे, इसलिए उसे कम्पनी से यह शेष कार्य करवाने की जरूरत नहीं है और कम्पनी ने जो हार्डवेयर उसे लौटाने थे ,तत्काल वापिस करे। दूसरी ओर कम्पनी कहती है कि उसने सर्वें कार्य सही किया है, टेंडर एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक फेज़ 2 व फेज़ 3 का बाकी कार्य भी सरकार ने कम्पनी से ही करवाना था । लेकिन अब शेष कार्य उससे न करवाने पर कम्पनी को भारी नुकसान हो रहा है , इसलिए उसने हार्डवेयर नही लौटाए और सरकार से 90 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति मुआवज़ा भी मांगा है।
विधायक आदित्य सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि ये जो नूराकुश्ती चल रही है ये केवल एक भ्रामक खेल है। पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर से लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तक कोई भी भाजपाई इस कंपनी पर लगाम नहीं लगा पा रहा। याशी कंपनी भाजपा नेताओं और भ्रष्ट अफसरशाही के साथ सांठगांठ करके जनता को 66 करोड़ का चूना लगा चुकी है और 100 करोड़ का चूना और लगाने की तैयारी में है। नायब सिंह सरकार और भ्रष्ट अफसरशाही के गठजोड़ से जनता ही नहीं इनके अनिल विज जी जैसे मंत्री तक परेशान हैं। ये लोग जनता के पैसे को दीमक की तरह चाट रहे हैं और इसके बावजूद ईमानदारी के दावे करते हैं।
आदित्य सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मांग करते हुए कहा कि ईमानदारी को रैलियों के भाषणों तक सीमित रखने की बजाय माननीय मुख्यमंत्री जी को इसे अपनी कार्यप्रणाली में भी अपनाना चाहिए। युवा विधायक ने मांग की कि सरकार पिछले 66 करोड़ की रिकवरी इस कंपनी से अमल में लाए।
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