कहा : क्या अब 2 उधोगपतियों की लूट का जिक्र करना भी देशद्रोह हो गया है?
बोले : खट्टर व दुष्यंत सरकार द्वारा अध्यापक संघ और शिक्षकों के हकों व नीतियों पर चल रहा बुलडोजर, सुरजेवाला ने कहा, अगर सुरेश द्रविड़ पर दर्ज गैर कानूनी केस वापिस नहीं लिया तो करेंगे विधानसभा का घेराव
कैथल, 25 सितंबर 2022
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव एवं राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा की खट्टर व दुष्यंत सरकार को तानाशाह करार देते हुए शिक्षक सुरेश द्रविड़ के खिलाफ देशद्रोह के मामले को तत्काल प्रभाव से वापिस लेने की मांग की। रणदीप सुरजेवाला ने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी यदि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए दर्ज किए गए गैर कानूनी केस को वापिस नहीं लिया गया तो वो शिक्षक प्रतिनिधिमंडल को साथ लेकर विधानसभा का घेराव करेंगे।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कैथल से एक बयान जारी करते हुए कहा कि हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार का शिक्षा विरोधी व शिक्षक विरोधी चेहरा आए दिन उजागर हो रहा है। शिक्षा प्रणाली व शिक्षा पद्धति का दिवाला निकल चुका है। स्कूल, कॉलेजों में कोर्सों को बंद किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों पर तालाबंदी की जा रही है। सरकारी संस्थानों को बेचा जा रहा है। टीचरों की कोई नई भर्ती नहीं की जा रही है। सरकारी स्कूलों व शिक्षकों के अधिकारों व हित को लेकर जब अध्यापक संघ या शिक्षक सरकार का विरोध करते हैं तो उनकी आवाज को खट्टर सरकार द्वारा दबाया व कुचला जा रहा है।सत्ता के नशे में मुख्यमंत्री खट्टर जी व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जी इतने अंधे व बेरहम हो चुके हैं कि उन्हें अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी कोई परवाह नहीं है। हरियाणा में राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ की कैथल इकाई के नेता और वरिष्ठ शिक्षक सुरेश द्रविड़ पर राजद्रोह (IPC-124A) का मामला दर्ज करना दर्शाता है कि खट्टर सरकार अब आलोचना नहीं सुन सकती और अब जनहितकारी नीतियों का दमन करना चाहती है।
सुरजेवाला ने कहा कि अपने ढंग का यह अनोखा मामला है। सुरेश द्रविड़ हरियाणा में एक शिक्षक के अलावा दलित-उत्पीड़ित समाज की सेवा में लगे रहने वाले एक कार्यकर्ता के रूप में विख्यात भी है। पता नहीं, हरियाणा की निरंकुश भाजपा-जजपा सरकार और पुलिस को याद भी है कि या नहीं, अपने देश की सुप्रीम कोर्ट ने IPC की इस धारा के तहत नागरिकों के खिलाफ और मामले दर्ज करने से केंद्र और राज्य सरकारों को रोका था। कोर्ट ने 11 मई के अपने अंतरिम आदेश के जरिये कहा कि सरकारें आगे से इस धारा के तहत मामले दर्ज करने से परहेज करें। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने यह भी कहा कि जो लोग राजद्रोह के तहत जेलो में बंद हैं, वे अपनी जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटायें। खट्टर सरकार को पता होना चाहिए कि सुरेश द्रविड़ हरियाणा में शिक्षक संघ के पदाधिकारी होने के अलावा दलित और उत्पीड़ित तबकों के लिए आवाज उठाने वाले एक बेहद सक्रिय कार्यकर्ता हैं। वह किसी राजनीतिक पार्टी से सम्बद्ध नहीं रखते हैं। बामसेफ के मंच से वह समाज के बीच वर्षों से काम करते आ रहे हैं।
सुरजेवाला ने हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि
● क्या भाजपा-जजपा सरकार हरियाणा की शिक्षा प्रणाली व पद्धति पर ग्रहण लगाना चाहती है?
● क्या अध्यापकों को सरकारों के खिलाफ बोलना या विरोध करना उन्हें अब राजद्रोह जैसे मुकदमों का शिकार होना पड़ेगा?
● क्या शिक्षक सुरेश द्रविड़ पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करना सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों की उल्लंघना करना नहीं है?
● क्या अब जनता के विरोध को तानाशाही तरीके से दबाया जाएगा?
● क्या अब देश में दो उद्योगपतियों का नाम लेना देशद्रोह है?
● न्यायोचित व शांतिप्रिय तरीक़े से कैथल, हरियाणा में विरोध कर रहे शिक्षक पर देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज करना खट्टर सरकार द्वारा प्रजातंत्र की हत्या कर देने से कम नहीं है। अगर न्याय मांगना देशद्रोह है तो हम सब पर मुक़दमा दर्ज करें।
सुरजेवाला ने कहा कि हमारी मुख्यमंत्री खट्टर जी व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जी से मांग है कि तुरंत प्रभाव से सुरेश द्रविड़ पर दर्ज मुकदमा रद्द किया जाए और अध्यापकों की मांग को भी जल्द से जल्द स्वीकार किया जाए। अन्यथा कांग्रेस पार्टी इस मामले में अध्यापक संघ के प्रतिनिधिमंडल के साथ विधानसभा का घेराव करेगी।
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