कैथल, 5 सितंबर (अजय धानियां)सहकारी चीनी मिल के प्रबंधक ब्रह्म प्रकाश के दिशा-निर्देशानुसार गन्ना प्रबन्धक डॉ. रामपाल ने किसानों को बुढ़ाखेड़ा, दयौरा, सांपन खेड़ी, सन्धौला-सन्धौली, मेघामाजरा में गन्ना विकास व जल सरंक्षण गोष्ठी का आयोजन के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि अगेती शरद्कालीन (सितंबर-अक्टूबर) गन्ना फसल, बसंत में बोऐ गऐ गन्ने से 20-25 प्रतिशत अधिक पैदावार देती है व जल्दी पक कर तैयार हो जाती है तथा बिना किसी दुष्प्रभाव के अन्त: फसले उगा कर अपनी आमदनी को किसान 1.5 से 2 गुना बढ़ा सकते हैं। इसलिए किसान अन्त: फसलों की बीजाई गन्ने की बीजाई वाले दिन ही करें। परस्पर से छाया को बचाने के लिए पूर्व-पश्चिम दिशा में बीजाई करें। अन्त: फसल के बीज की मात्रा अधिगृहीत क्षेत्र के अनुसार करें। अन्त: फसलों में तोरियां, सरसों, मटर, आलू, प्याज, लहसुन, मैथी, धनिया, मूंग, उड़द व गेहूं इत्यादि आसानी के साथ ली जा सकती है तथा पैदावार में ना तो गन्ने की फसल तथा ना ही अन्त: फसलों पर कोई दुष्प्रभाव पड़ता है। खाली जगह में अन्त: फसल लेने से खरपतवार की समस्या कम हो जाती है। लहसून, धनियां व प्याज जैसी अन्त: फसले गन्ने में चोटी भेदक व कन्सुआ के प्रकोप को कम करती है। इसके साथ-साथ अन्त: फसलों के अवषेषों को भूमि में मिलाने से भूमि की भौतिक सरंचना में सुधार होता है व लागत खर्च भी अपेक्षाकृत कम रहता है। उन्होंने किसानों से अपील कि वो ज्यादा से ज्यादा अधिक पैदावार देने वाली उन्नत किस्मों जैसे सीओ 15023 व सीओ 118 की कम से कम 4 फीट लाइन से लाइन की दूरी पर गन्ने की बीजाई अवश्य करें। परीक्षणों से यह साबित हो चुका है कि 2 से 2.5 फीट पर गन्ना बिजाई की अपेक्षा 4 फीट पर गन्ना बीजाई करने से अधिक पैदावार मिलती है, क्योंकि इसमें पौधों को पर्याप्त प्रकाश व हवा मिलने के साथ-साथ आपस में पौधें का संघर्ष नहीं होता। जिसके कारण जो फुटाव होता है उन सब के स्वच्छ व मोटे गन्ने बनते हैं जिस कारण किसान को पैदावार अच्छी मिलती है। गन्ना प्रबन्धक ने किसानों को सुक्ष्म सिंचाई विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर गन्ना विपणन अधिकारी डॉ. देशराज, रामपाल तंवर, सुलतान सिंह, राजबीर सिंह, दिलावर सिंह, बलकार सिंह, राजेश कुमार आदि मौजूद रहे।
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