कैथल, 2 अगस्त ( ) डीसी जगदीश शर्मा ने कहा कि मानव जीवन बचाना व मानवता की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है। रैडक्रॉस की टीम तथा शिक्षण संस्थान को बधाई देता हूं कि जिन्होंने ऐसे शिविर की शुरूआत करके अपने नए सत्र की शुरूआत की है। इन शिविरों के माध्यम से सीपीआर जैसी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी घर-घर तक पहुंचे, इसके लिए रैडक्रॉस विभाग की टीम पूरा प्लान तैयार करके जिला में शिविरों का आयोजन करें, ताकि आमजन इसका पूरा लाभ उठा सके। डीसी जगदीश शर्मा बुधवार को आरकेएसडी कॉलेज के हॉल में रैडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से आयोजित एक दिवसीय सीपीआर प्रशिक्षण का शुभारंभ करने उपरांत लोगों को संबोधित कर रहे थे। इसके उपरांत डीसी ने सीपीआर वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया। यह सीपीआर वैन डॉ भीम राव अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय क्योड़क, चीका, डीएवी कालेज चीका, गांव बरटा , गांव मघो माजरी, पुलिस लाईन कैथल, चौधरी ईश्वर सिंह कन्या महाविद्यालय पूंडरी, ग्राम पंचायत पाई, बात्ता, कलायत मेन चौक, शहीद स्मारक कमेटी चौक पहुंचेगी। सीपीआर मोबाईल वैन के माध्यम से जागरूक किया जाएगा, जिससे कि आपदा के समय कृत्रिम सांस के जरिए व्यक्ति की न केवल जिन्दगी बचाई जा सकें बल्कि नया जीवनदान दिया जा सके।उन्होनें कहा कि सीपीआर एक ऐसी तकनीक है जिसमें हद्वय गति बन्द होने या सांस न आने पर आम व्यक्ति को नही पता होता कि अब क्या करना है। इस जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से बहुत से लोग इस तकनीक को सीख कर लोगों अमूल्य जीवन बचा पाएंगें । मोबाईल वैन के साथ 2 ट्रेनर रहेगें जो जिला कैथल में सीपीआर का प्रशिक्षण देगें । भारतीय रैडक्रॉस सोसायटी राज्य शाखा हरियाणा द्वारा सीपीआर प्रशिक्षण मील का पत्थर साबित होगा। सीटीएम कपिल कुमार ने कहा कि रैडक्रॉस द्वारा दिए जा रहे सीपीआर प्रशिक्षण का आमजन को लाभ उठाना चाहिए तथा सीपीआर को सीखकर किसी की अमूल्य जिंदगी को बचा सके। इसके साथ-साथ सीपीआर को सीखा हुआ व्यक्ति भी आगे 10-10 व्यक्ति को सीपीआर को सीखाएं, ताकि यह एक जन आंदोलन का रूप ले लें और हर व्यक्ति सीपीआर को सीख सके। इस मौके पर आरकेएसडी के प्राचार्य डॉ. संजय गोयल ने भी अपना संबोधन दिया। रैडक्रॉस सोसायटी द्वारा सीपीआर पर आधारित लघु फिल्म को भी दिखाया गया, जोकि आमजन तक प्रचार-प्रसार में सहायक सिद्ध होगी। डीसी ने रैडक्रॉस सोसायटी द्वारा प्रदान किए गए 300 स्कूलों के लिए प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स एवं 10 स्कूलों में आरओ का वितरण किया। इस मौके पर प्रो. हरेन्द्र गुप्ता, डॉ. सुरेन्द्र आर्य, डॉ. राजेश, डॉ. रघुबीर, नरेश कुमार, सुरेश कैंदल, सुशील कुमार, बीरबल दलाल, पवन कुमार, रामपाल आदि मौजूद रहे।
क्या है सीपीआर विधिइस सी
पीआर जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को काफी फायदा होगा, क्योंकि ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में अचानक दिल का दौरा पड़ने, बेहोशी में सांस बन्द होने और अचानक दिल का काम न करने की अवस्था में तुरन्त सीपीआर देख कर हद्वय गति को दोबारा चलाया जा सकता है। सीपीआर कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन, यह भी एक तरह की प्राथमिक चिकित्सा यानी फ स्ट एड है जब किसी पीडि़त को सांस लेने में दिक्कत हो या फि र वो सांस न ले पा रहा हो और बेहोश हो जाए तो सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है। बिजली का झटका लगने पर, पानी में डूबने पर और दम घूटने पर सीपीआर से पीडि़त को आराम पहुंचाया जा सकता है। हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पड़ने पर तो सबसे पहले और समय पर सीपीआर दे दिया जाये तो पीडि़त की जान बचाने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है । अगर किसी पीडि़त को दिल का दौरा पड़ जाए तो सबसे महत्वपूर्ण है कि प्राथमिक चिकित्सा देने वाला व्यक्ति खुद ना घबराए और पूरा धैर्य रखे। किसी भी तरह की फ स्ट एड देने से पहले एंबुलैंस को कॉल करें या फि र हॉस्पिटल को सूचित करें की आप बहुत ही कम समय में हार्ट अटैक के मरीज को लेकर वहां पहुचनें वाले है । पीडि़त के हाल की जांच तुरन्त करें। ये देखने की कोशिश करें कि मरीज होश में है कि नहीं, उसकी सांस चल रही है कि नहीं। अगर उसकी सांस चल रही है तो मरीज को आराम से बिठायें और उसे रिलैक्स कराएं । मरीज के कपड़ों को ढीला कर दें । अगर मरीज को पहले से ही हार्ट की समस्या है और वो कोई दवाएं लेता हो, तो पहले उसे वही दवा दे जो वो लेता रहा है। यदि मरीज को होश नही आ रहा हो, उसके दिल की धड़कनें बन्द हो गयी हो या सांस नही चल रही हो तो सीपीआर प्रक्रिया अपनाएं ।
कैसे दें सीपीआर प्रक्रिया सीपीआर प्रक्रिया करने में सबसे पहले पीडि़त को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है और प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है, उसकी नाक और गला चेक कर ये सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सांस लेने में कोई रूकावट तो नही है। जीभ अगर पलट गई है तो उसे सही जगह पर उंगलियों के सहारे लाया जाता है । सीपीआर में मुख्य रूप से दो काम किए जाते है । पहला छाती को दबाना और दूसरा मुह से सांस देना, जिसे माउथ टु माउथ रेस्पिरेशन कहते है । पहली प्रक्रिया में पीडि़त के सीने के बीचों-बीच हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाया जाता है। एक से दो बार ऐसा करने से धड़कने फि र से शुरू हो जाएगी। पंपिंग करते समय दूसरे हाथ को पहले हाथ के उपर रखकर उंगलियों से बांध ले अपने हाथ और कोहनी को सीधा रखे। अगर पंपिंग करने से भी सांस नही आती और धड़कने शुरू नही होती तो पंपिंग के साथ मरिज को कृत्रिम सांस देने की कोशिश की जाती है। ऐसा करने के लिए हथेली से छाती को 1-2 इंच दबाए, ऐसा प्रति मिनट में 100 बार करें । सीपीआर में दबाब और कृत्रिम सांस का एक खास अनुपात होता है । 30 बार छाती पर दबाव बनाया जाता है तो दो बार कृत्रिम सांस दी जाती है । छाती पर दबाव और कृत्रिम सांस देने का अनुपात 30:02 काहोना चाहिए । कृत्रिम सांस देते समय ये ध्यान रखना है कि फ स्ट एड देने वाला व्यक्ति लंबी सांस लेकर मरीज के मुंह से मुंह चिपकाए और धीरे-धीरे सांस छोडे । ऐसा करने से मरीज के फेफ डों में हवा भर जाएगी । इस प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखना होता है कि जब कृत्रिम सांस दी जा रही है तो मरीज की छाती उपर नीचे हो रही है या नही । ये प्रक्रिया तब तक चलने देनी है जब तक पीडित खुद से सांस न लेने लगे जब मरीज खुद से सांस लेने लगे, तब ये प्रक्रिया रोकनी होती है । सीपीआर अगर किसी बच्चे को देनी है तो विधि में थोड़ा सा बदलाव होता है । बच्चों की हडिडयों की शक्ति बहुत कम होती है इसलिए दबाव का विशेष ध्यान रखा जाता है । अगर एक साल से कम बच्चों के लिए सीपीआर देना हो तो सीपीआर देते वक्त ध्यान रखे 2 या 3 उंगलियों से ही छाती पर दबाव डालें और छाती पर दबाव और कृत्रिम सांस देने का अनुपात 30:02 ही रखें ।
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