कैथल, 04 सितंबर ( ) हरियाणा की आशा वर्कर 8 अगस्त से हड़ताल पर है आज सुषमा जडोला की अध्यक्षता में सभी आशा हनुमान वाटिका में एकत्रित हुए और मंच संचालन कविता ने किया और वहाँ से प्रदर्शन करते हुए लघुसचिवालय पहुचे और sdm महोदय को ज्ञापन दिया ।राज्य प्रधान जी ने बात रखते हुए बताया कि एक महीना पहले हड़ताल का नोटिस दिया गया था । मुख्यमंत्री या स्वास्थ्य मंत्री द्वारा तो दूर की बात है अधिकारियों द्वारा भी आशा वर्कर्स की मांगों पर संजीदा तरीके से वार्ता नहीं की गई है। लेकिन भाजपा प्रवक्ता कह रहे हैं कि वह आशा वर्कर्स की मांगों के प्रति संजीदा है। उल्टे शांतिपूर्वक तरीके से आंदोलन कर रही आशाओं पर बेहद निंदनीय एवं दमन पूर्ण कार्यवाहियां की गई है। सरकार बार-बार 7-8 प्रोत्साहन राशियों को ज्यादा वेतन बता रही है। लेकिन वह यह नहीं बता रही आशा वर्कर से 70-80 हजार रुपए लेने वाले पक्के कर्मचारी की तरह से काम ले रही है। न ही सरकार यह बताने का कष्ट करती है कि 2018 के बाद से हमने आशा वर्कर पर बेतहाशा काम बढ़ा दिए हैं। 2018 के बाद आशा के वेतन में हमने कोई बढ़ोतरी नहीं की है उलटे कटौतियां की हैं। ऑनलाइन कामों के लिए आशा वर्कर्स को एक नए पैसे का भी भुगतान नहीं हो रहा। महंगाई लगातार बढ़ रही है लेकिन पिछले 5 वर्षों में आशा वर्कर्स की एक नए पैसे की बढ़ोतरी नहीं की गई है उल्टे उनकी प्रोत्साहन राशियों में कटौती की गई है। यदि सरकार संजीदा है तो तुरंत मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को वार्ता करके मांगो का निपटारा करना चाहिए।
बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन के प्रधान सुरेंद्र और उपप्रधान गीता देवी ने भी बात रखते हुए बताया कि सरकार आशा वर्कर से बात नहीं कर रही थी तो ही विधानसभा कूच का निर्णय लिया था। जिस पुलिस द्वारा ज्यादतियां की गई। 28 अगस्त को हड़ताली वर्कर्स को उनके घरों में नजर बंद किया गया उनके व्हीकल में पुलिस बैठ गई और उन्हें सारा दिन घुमाती रही नेताओं को हिरासत में लेकर बसों में बिठाकर घुमाया जाता रहा। यहां तक की गिरफ्तार नेताओं को पीने का पानी तक मुहैया नहीं दिया गया। महिलाओं के बैग चेक किए गए और उनमें से पानी की बोतल निकाली गई जिसके चलते यमुनानगर की एक आशा वर्कर पारुल की मौत हो गई है। सरकार वर्कर्स का दमन करने, महिलाओं को उत्पीड़ित करने के लिए ही संजीदा है। न्याय, बराबरी, भाईचारे, सहानुभूति, संवेदना, इंसानियत जैसे मूल्यों से बीजेपी सरकार का कोई लेना-देना नहीं है जो स्पष्ट झलक रहा है। 20000 आशा वर्कर्स हरियाणा की करीब 2 करोड़ आबादी से सीधे संपर्क में रहती हैं और स्वास्थ्य सेवाएं देती हैं। अब इस आंदोलन को जनता के बीच लेकर जाएंगे। अगले एक सप्ताह में राज्य में 4 लाख घरों तक सरकार की तानाशाही रवैया को लेकर अभियान चलेगा। आशा वर्कर्स के आंदोलन के समर्थन के लिए कर्मचारी, मजदूर, किसान, महिला, सामाजिक संगठनों के बीच भी यूनियन जा रही है। आम जनता से भी बड़े पैमाने पर आंदोलन के लिए समर्थन हासिल हो रहा है।
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